Tuesday 28 June 2016
Sunday 26 June 2016
Saturday 25 June 2016
Tuesday 21 June 2016
Friday 17 June 2016
mouka
पति के घर में प्रवेश करते ही
पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा :
पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता कीया, वहाँ भी नहीं पहुँचे ! मामला क्या है ?
“वो-वो… मैं…”
पती की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, बोलते नही ? कहां चले गये थे ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये ?
वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था।
पती थोड़ी हिम्मत करके बोला
क्या कहा? तुम मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें?
तुम्हारे भाईयों के पास इन्हें क्या तकलीफ है?
आग बबूला थी पत्नी!
उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं
इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता तुम समझ क्यों नहीं रही ।
पती ने दबी जुबान से कहा ।
क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है ? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ !
पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था
अब ये हमारे पास ही रहेगी पति ने कठोरता अपनाई ।
मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ । वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महा रानी जी को भी यहाँ आते जरा सी भी लाज नहीं आई ?
कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी !
झेंपते हुए पत्नी बोली: “मां, तुम ?”
हाँ बेटा ! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया । दामाद जी को फोन कीया, तो ये मुझे यहां ले आये ।
बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गगद नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली ।
आप भी बड़े वो हो] डार्लिंग ! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे ?
इस मैसेज को इतना शेयर करो, कि हर औरत तक पहुंच सके !
कि माँ तो माँ होती है! क्या मेरी, क्या तेरी?
ये मैसेज आपको जितनी बार भी मिले आप हर बार फारवरड करते जाओ
🙏🙏🙏🙏🙏
पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा :
पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता कीया, वहाँ भी नहीं पहुँचे ! मामला क्या है ?
“वो-वो… मैं…”
पती की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, बोलते नही ? कहां चले गये थे ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये ?
वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था।
पती थोड़ी हिम्मत करके बोला
क्या कहा? तुम मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें?
तुम्हारे भाईयों के पास इन्हें क्या तकलीफ है?
आग बबूला थी पत्नी!
उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं
इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता तुम समझ क्यों नहीं रही ।
पती ने दबी जुबान से कहा ।
क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है ? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ !
पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था
अब ये हमारे पास ही रहेगी पति ने कठोरता अपनाई ।
मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ । वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महा रानी जी को भी यहाँ आते जरा सी भी लाज नहीं आई ?
कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी !
झेंपते हुए पत्नी बोली: “मां, तुम ?”
हाँ बेटा ! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया । दामाद जी को फोन कीया, तो ये मुझे यहां ले आये ।
बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गगद नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली ।
आप भी बड़े वो हो] डार्लिंग ! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे ?
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Tuesday 14 June 2016
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Saturday 4 June 2016
Friday 3 June 2016
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